ऊंचा रखूंगा सर मेरे परिवार का-सीताराम पवार
ऊंचा रखूंगा सर मेरे परिवार का
झूठ सच नेकी बदी मान अपमान जो होता है परिवार के लिए होता है,
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झुकाए ना झुकेगा इस नामुराद दुनिया में कभी सर मेरे परिवार का |
है आसमा से भी बहुत ऊंचा ये भरी कायनात में सर मेरे परिवार का |
क्यारियां है एकता की बेपनाह मोहब्बत से खिला खिला है यह बागवा,
ना छू सकेगी कभी ये दुनिया की मनहूस नफरतें भी सर मेरे परिवार का|
दुनिया में इंसान को कुछ मिलता है तो उसको अपना ये परिवार मिलता है,
मैं इसका हिस्सा हूं मैंने कसम खाई है ऊंचा रखूंगा सर मेरे परिवार का,
इंसान परिवार में जन्म लेता है जीता है और परिवार में ही मर जाता है,
मेहनत के पानी से मैंने सिचा है आज भी ऊंचा है ये सर मेरे परिवार का |
खिले खिले इस परिवार के गुलशन को देखकर मेरा मन भी खिल जाता है,
बुरी नजर वालों का सर झुकाता हूं क्योंकि ऊंचा रहे सर मेरे परिवार का,
परिवार में कभी खुशियां आती है तो परिवार में कभी ये गम भी आते है,
गम में सबको साथ देख फक्र से ऊंचा हो जाता है ये सर मेरे परिवार का |
झूठ सच नेकी बदी मान अपमान जो होता है परिवार के लिए ही तो होता है,
जो भी इंसान करता है परिवार के लिए वटवृक्ष की तरह ऊंचा रहे सर मेरे परिवार का,
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
मध्य प्रदेश