May 16, 2023
किताब वासर – डॉ.शशि भूषण शर्मा छपरा, बिहार
किताब-वासर
किताबों की दुनिया,
बेशक ख़ामोश होती है,
मगर बहुत कुछ,
चुपचाप कह जाती हैं।
अपनाकर आप ही,
ये खुद चुप रह जाती हैं।
होती चमन में हरियाली,
इन्हीं के कारण,
अपने होने का एहसास,
भर कर जाती हैं।
किताबों से प्रेम किया जिसने,
उम्र भर की सोहरत कर जाती हैं।
खामोश रहकर भी,
ये बहुत कुछ कह जाती हैं।
जरूरत है इसकी आज,
उल्फत में,
हो शिकवा या गिला,
तालीम गढ़ जाती हैं।
किताबों की ये दुनिया
शशि,
तुम जैसों को भी भूषण,
कर जाती हैं।
किताबों की यह दुनिया
खामोश रहकर भी,
बहुत कुछ कह जाती हैं
बहुत कुछ कह जाती हैं।
डॉ.शशि भूषण शर्मा
छपरा, बिहार।