May 16, 2023
घर बुलाता है – शैलेन्द्र कुमार
घर बुलाता है
घर की बगिया में फूलों सा महकता है मांँ का आंँचल
बहन का प्यार मुझ पर बसंती हवा सा बहता है
पापा घने वृक्ष से करते रहते हैं सिर पर छांँव घनी
भाई बनकर हवा मेरी सांँस सांँस में घुला रहता है
लौट आओ, मेरा घर मुझसे हमेशा कहता है।
दरवाजे का पेड़ मुझे बुलाता, खेत इशारे करता है
पूरा परिवार मेरी आंँखों में हर पल बसा रहता है
याद आती है सबकी, इतना प्यार कहांँ मिलता है?
अब लौट चलो, हमेशा मुझसे मेरा दिल कहता है।
भतीजे, भतीजियों की किलकारी गूंजती रहती
भाभियों के चेहरे पर मुस्कान की कलियां खिलती हैं
पूरा परिवार जब होता है साथ, घर स्वर्ग सा लगता है
लौट आओ अब, पूरा परिवार हमेशा यही कहता है।
शैलेन्द्र कुमार
असिटेंट प्रोफ़ेसर हिंदी
राजकीय महिला महाविद्यालय बांगर, कन्नौज।
पता
ग्राम व पोस्ट राही, जिला रायबरेली
उत्तर प्रदेश