माता-पिता का रूप – डॉ. वेद प्रकाश
माता–पिता का रूप
माता-पिता को, प्रथम गुरु लिख रहा हूं।
देते हैं ऐसी शिक्षा, जिसे उपदेश लिख रहा हूं।।
बिना अपने बच्चों के, रहते हैं अधूरा।
उन्हें मैं शत-शत ,नमन लिख रहा हूं।।
पिता को हीरा, माता को चंदन लिख रहा हूं।
उनकी महानता को, वंदन लिख रहा हूं।।
हर सपना बच्चों का, करते हैं वह पूरा।
उन्हें में शत-शत नमन लिख रहा हूं।।
माता को लक्ष्मी, पिता को देव लिख रहा हूं।
भावनाओं को उनकी मैं, अनमोल लिख रहा हूं।।
सदा सोचते हैं अच्छा, अपने बच्चों के बारे में।
उन्हें में शत-शत नमन लिख रहा हूं।।
माता को कुमारी, पिता को कुमार लिख रहा हूं।
बच्चों को मैं कच्चा, मटका लिख रहा हूं।।
कूट-कूट कर देते हैं, बच्चों को अच्छा आकार।
उन्हें में शत-शत, नमन लिख रहा हूं।।
माता को धरती, पिता को आकाश लिख रहा हूं।
भारतीय संस्कृति को, देश की शान लिख रहा हूं।।
इसी संस्कृति से बच्चों को, आगे बढ़ाना चाहते हैं मां-बाप।
उन्हें में शत-शत, नमन लिख रहा हूं।।
डॉ. वेद प्रकाश
एसोसिएट प्रोफेसर
किसान पीजी कॉलेज सिंभावली
जनपद- हापुड़, राज्य- उत्तर प्रदेश