योग करो स्वस्थ रहो-सुजाता जी. नायक
शीर्षक:- योग करो स्वस्थ रहो
आधुनिकता की आड़ में छिप गया योग
भूल चुके थे सब इसका उपयोग।
सब भोग में व्यस्त, मस्त रहने लगे,
रोग से सभी परास्त होने लगे।।
समय बीता ऐसे योग के बिना
लोगों का जीवन हुआ सूना।
कई रोगों का नहीं मिला निदान
लोग हो गए इससे परेशान।।
योग के महत्व को सब ने जाना
मान और सम्मान सब ने चाहा देना।
विश्व भर में गूंज उठा योग का उल्लास
जुटे सभी मनाने विश्व योग दिवस।।
फिर से आया सामने योग एक बार
सब का मिला सहर्ष सहयोग, प्यार।
समस्याओं की हुई हल सबकी तपस्या से
खुशियों का संगम हुआ योग करने से।।
योग से मन को सुख ,शान्ति मिली
चेहरे पर अनोखी कान्ति खिली ।
खोया आत्मविश्वास,फिर से जागा
सारा संसार एक बार फिर से उठा जगमगा ।।
सभी के स्वास्थ्य में योग ने लाया सुधार
दिल से उठी खुशी की पुकार।
चलो आओ, करें योग का अभ्यास,
जीवन होगा तभी हमारा सरस ।।
रचनाकार:- सुजाता जी. नायक
सहायक प्राध्यापिका
केनरा कॉलेज
मंगलूर।