May 16, 2023

शुद्ध और सुरक्षित – ज्ञानेश्वर महाजन

By Gina Journal

* शुद्ध और सुरक्षित *

घर और बाहर
रिश्ते नाते हैं समान
मॉं , बहन, बेटी,भाभी,
सास, साली , घरवाली आदि ।
निभाना इन्हें हर जगह हर संभव
निरामय, निर्लोभ एवं निर्दोष…।

सदाशयता का परिवेश है जहाॅं
आत्मीयता का आशय मिलता है
वहाॅं…।
चारदीवारी में अनगिनत, अनकहे
हैं कई अमानवीय कृत्य और
व्यवहार…।

साधार और निराधार के कई हैं हिस्से
बच्चें मन के सच्चे होते हैं लेकिन बड़ों
का मन बड़ा चंचल और अधीर…
एकांत एवं अकेलेपन में न जाने
कब कौन किसे लूटेगा और ख़ुद
बचकर किसी को ठेस पहुंचायेगा…।

यत्र – तत्र आज पारिवारिक, सामाजिक,
शैक्षिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक,
खेलजगत, मीडिया आदि परिवेश
में अन्याय, अत्याचार और लूट की
न कोई रह गई है सीमा…!

आम आजकल खास की
बिरादरी से जुड़ी सूचनाओं और जनसंचार की चपेट में इतना है व्यस्त
कि क्या सुनें और क्या पढ़ें ? इसी कशमकश में वह खो बैठा है अपनी
पहचान… साथ ही साथ दो जून की
रोटी की मेहनत में परेशान!

अतः मजबूर होते हुए अगर कहूॅं –
“तुम जब तक काल की गति को
मानोगे नहीं…
तब तक तुम शुद्ध और सुरक्षित नहीं…!”
– ज्ञानेश्वर महाजन
जालना, महाराष्ट्र