May 16, 2023

मेरा पहला प्यार – डॉ0रमेश कुमार निर्मेष

By Gina Journal

:: मेरा पहला प्यार ::

सनातन सृष्टि का एक अंग
बन के मैं धरा पर आया था,
प्रकृति ने कर चयन मेरा
मुझे कर धन्य रखा था।

नयी एक आशा बन के मैं
माँ की कोख आया था,
पता नहि कितनी मनौती का
बन के परिणाम भाया था।

बड़े शिद्दत से मेरी माँ ने
बेशक पिता को चाहा था,
पर इसमें शक नही कोई कि
पहला प्यार मैं ही उनका था।

मेरी माँ मुझे निज ईश का
बस वह वरदान मानी थी,
उस कालखण्ड में उनका
कोई मुझसे बड़ा न सानी था।

मेरी हर चोट को माँ खुद
स्वयं का चोट समझी थी
मेरे रोने की आहट पाकर ही
मेरा वह कष्ट हरती थी।

मेरी बातों को लेकर वह
मेरा ही पक्ष लेती थी,
ना जाने कितनी बार
पिता से लड़ वो पड़ती थी।

मुसलसल गलतियों को वह
मेरे नजरअंदाज करती थी,
यही ना, साबित उसे सही
करने का हर प्रयास करती थी।

राज की बात सुन लो एक
तुमसे आज कहता हूँ,
कहीं ज्यादा प्रिया से मैं
माँ को प्यार करता हूँ।

मांग पूरी ना होने पर प्रिया
पलट कर त्याग देती है,
फूटी कौड़ी न होने पर भी
माँ गोद मे अपने सुलाती है।

पिछली रात माँ को लेने
जब यमराज आये थे,
माँ के बदले मेरी पेशकश पर
मैंने थप्पड़ खूब खाये थे।

पहला प्यार मेरी माँ है
लिये सौगंध कहता हूँ,
हजारों प्रेम को निर्मेष
माँ तुम पर कुर्बान करता हूँ।

डॉ0रमेश कुमार निर्मेष