अकेलापन से साथियों की तलाश – स्मिता शंकर
अकेलापन से साथियों की तलाश”
एक बार की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जो अपने एकल होने के कारण बहुत उदास रहती थी। वह हमेशा अकेली रहती थी और गांव के लोग उसे भी नहीं मिलते थे। वह जंगल में चली जाती और उसके पास जानवरों के दोस्त थे जिनसे वह बातें किया करती थी।
एक दिन, बुढ़िया को एक कुत्ता मिला जो उसे उसके साथ खेलता रहता था। उसके साथ खेलते समय, बुढ़िया का भी मन खुश होने लगा और उसका अकेलापन भी दूर हो गया। दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश रहने लगे।धीरे-धीरे, बुढ़िया और कुत्ता दोनों गांव के लोगों के लिए एक आश्चर्य बन गए। बुढ़िया और कुत्ता के दोस्ती की कहानी गांव में फैल गई और लोग उन्हें मिलने लगे। बुढ़िया अब अकेलापन से नहीं जूझ रही थी और उसके लिए एक साथिया भी मिल गया था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम अपने अकेलापन से जूझते हैं, तो एक साथिया हमारी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अपने अकेलापन से जूझते हुए हम अक्सर निराश हो जाते हैं और जीवन का मजा भी कहीं न कहीं खो देते हैं। इसलिए, हमें समय-समय पर अपने अकेलापन को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने आस-पास लोगों से मिलना चाहिए और उनसे दोस्ती करनी चाहिए।जीवन में साथी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमें उन वक्तों में सहायता करते हैं जब हमें उसे सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उनकी मदद से हम नये दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं और जीवन में नए स्तर पर आगे बढ़ते हैं।
इसलिए, अपने जीवन में साथियों को जरूरत से ज्यादा महत्व देना चाहिए। उनसे मिलना, उनके साथ समय बिताना और उनसे बातें करना आपको अकेलापन से दूर रखेगा और आपके जीवन में नयी खुशियाँ लाएगा। इसलिए, समय समय पर अपने आस-पास के लोगों से मिलें और एक दूसरे के साथ दोस्ती करें।
स्मिता शंकर
बेंगलुरू
कर्नाटका