May 16, 2023
परिवार – सतीश कुमार नारनौंद
परिवार
संस्कारों की मिलती घुट्टी, मेहनत रूप उपहार मिले।
विकारों की श्रृंखला टूटी जहां एक सूत्र परिवार मिले।।
तरु समक्ष है बुजुर्ग छांव, नित सदव्यवहार सिखाएं।
मुकुल पा कवच आंचल ,फिर निर्भय हो मुस्कराएं।।
प्रतिकूल हो कोई जीवन पथ पे,धूर्त रंगा सियार मिले।
विकारों की श्रृंखला टूटी जहां एक सूत्र परिवार मिले।।
मिलकर रहते सुख दुख में, यही प्रेम प्रीत का सार।
अपनापन है रिश्तो में, टिका मानव जीवन आधार।।
भौतिक स्वार्थ अंधी दौड़ में, पड़ती मन दीवार मिले।
विकारों की श्रृंखला टूटी,जहां एक सूत्र परिवार मिले।।
बड़े कुटुंब लगे बिखरने, अब अकर्मण्यता पैर पसारे।
एकल परिवार लगे सुहाने,खून के रिश्ते पड़ी दरारें।।
भूली भटकी मानवता को, एक सबल आधार मिले।
विकारों की श्रृंखला टूटी,जहां एक सूत्र परिवार मिले।।
सतीश कुमार नारनौंद
जिला हिसार हरियाणा
स्वरचित और मौलिक