May 16, 2023

“मां” – डॉक्टर किरण ग्रोवर

By Gina Journal

“मां”

मां तो मां होती है
मां के पैरों में ज़न्नत होती है,
मां के हाथो में स्वर्ग होता है।
मां प्यार की पुतली होती है,
मां ममता की कठपुतली होती है।
मां के ह्रदय में संवेदना होती है,
मां के मस्तिष्क में चेतना होती है।
मां त्याग की प्रतिमूर्ति होती है,
मां सहानुभूति की प्रतिच्छवि होती है।
मां की उंगलियों में संस्पर्श होता है,
मां की हथेलियों में बरकत होती है।
मां समर्पण की देवी होती है,
मां भक्ति की उपासिका होती है।
मां ममत्व की संवाहिका होती है,
मां पितृत्व की भी वाहिका होती है।
मां बच्चों को त्याग की शिक्षा देती है,
मां ममता की लोरियों का प्रसाद देती है।
मां बच्चों के सपनों को पंख देती है,
मां कांटों पर चल अभय दान देती है।
मां सुख की सेज पर आशीर्वाद देती है,
मां दुख की घड़ी में हौंसला भी देती है।
मां अपने हाथों से बच्चों की थकान मिटाती है,
मां रिश्तेदारी निभाने की गर्माहट सिखाती है।
मां बच्चों के रोने पर उन्हें हंसाती है,
मां बच्चों को डांट कर स्वयं को रुलाती है।
मां बच्चों के परीक्षा परिणाम को अखबारों में खोजती है,
मां बच्चों के ख्वाबों में सफ़लता के रंग भरती है।
मां बच्चों में जीवन जीने का साहस भरती है,
मां अपने होंठों की हंसी बच्चों पर लुटाती है।
मां ज़िन्दा रहकर तो बच्चों का सर्वस्व होती है,
मां मर कर भी बच्चों के दिल में जीवित रहती है।
मां को शब्दों में ब्यां नहीं किया जा सकता,
मां की आत्मा लोक परलोक में अमर होती है।।

डॉक्टर किरण ग्रोवर,

अबोहर पंजाब