June 2, 2023

92. समकालीन साहित्य  में आर्थिक-विमर्श-मो0 जिमी 

By Gina Journal

Page No.: 655-658

समकालीन साहित्य  में आर्थिक-विमर्श

आपका नाम – मो0 जिमी
आपका पद   -मास्टर्स ऑफ़ आर्ट्स (उर्दू )
आपके संस्थान का नाम- आर डी एंड डी जे कॉलेज, मुंगेर
 महाविद्यालय. –
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ,भागलपुर 811207
पढ़ना आसान कार्य है पर लिखना आयास का। पढ़नेवाले सब लिख नहीं सकते। वही लिखते हैं जो कुछ नया कहना चाहते हैं। जब तक नया कुछ कहना नहीं है, चुप रहना ही बेहतर है। कथा साहित्य खासकर उपन्यास साहित्य जीवन की समग्रता का साहित्य है। उसमें जीवन की विशालता एवं गहराई का अंकन संभव है। साहित्य की किसी भी दीगर विधाओं में वैसी क्षमता नहीं। कहानी जीवन के किसी-न-किसी छोटे सन्दर्भ या अमूल्य क्षण की अभिव्यक्ति है। जैसे प्रेमचन्द जी ने सूचित किया कि कहानी पन्द्रह मिनिट में समाप्त होनेवाली होनी चाहिए। उसके लंबे हो जाने के साथ उसकी सघनता नष्ट हो जाती है और पाठकीय संवेदना को उजागर करने की क्षमता भी शिथिल हो जाती है। पर उपन्यास में वह क्षमता उसके विशाल कलेवर के बावजूद बनी रहती है। पाठकों के अन्तःकरण को विमलीकृत करने की क्षमता जितनी उपन्यास में है उतनी शायद ही किसी अन्य विधा में हो। इसलिए उपन्यास अपने जन्म से लेकर अब भी सबसे शक्तिशाली साहित्यिक विधा के रूप में सक्रिय रहता है। समकालीन जीवन-यथार्थ के अंधकार की सही पहचान उपन्यासों में ही अनावृत हुई है। इसलिए नए युग के सभी विमर्शों का दस्तावेज़ बनकर उपन्यास वर्तमान रहता है। समकालीन इतिहास के उस अवधि के बारे में बताता है जो आज के लिए एकदम प्रासंगिक है तथा आधुनिक इतिहास के कुछ निश्चित परिप्रेक्ष्य में संबंधित |हाल के समकालीन इतिहास के जो यूक्रेन के युद्ध के घटनाओं को  जिनके प्रभाव से स्थिति ही डामाडोल नहीं हुई उनकी जीडीपी भी काफी खतरे में आई |
समकालीन इतिहासिक घटनाएं वह है जो आज के दिन के लिए एकदम प्रासंगिक है यूरोप में शब्द समकालीन का प्रयोग 1989 की क्रांति के समय से शुरू हुआ विश्व युद्ध के समय के प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध के तथा तृतीय युद्ध के प्रभाव को आज के समकालीन इतिहास में भी महसूस किया जा रहा है| जैसे कि बीसवीं सदी के मौत पर विश्व ने दो महान आपदाओं प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध को देखा महान युद्ध के बीच में बीसवीं सदी के महान समृद्धि को भी देखा जब नई तकनीकी प्रगति ने पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया लेकिन जल्द ही इसका अंत एक महान निराशा में हुआ इसी दौरान लीग ऑफ नेशन का गठन वैश्विक मुद्दों को सुलझाने के लिए किया गया लेकिन यह प्रमुख शक्तियों का समर्थन जुटाने में सफल रहा और एक संकट के सिलसिले ने दोबारा पूरे विश्व को हिंसा के एक दूसरे समय में धकेल दिया| हालांकि बीसवीं शताब्दी के मोड़ पर शुरू है पश्चिमी दुनिया के रिश्तेदार शांति के ऐतिहासिक के लिए जिसके परिणाम स्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शक्ति का उपयोग किया गया बीसवीं सदी के उत्तर में अपनी प्राथमिकी उपयोगिता मिली, इसका वर्तमान लक्ष्य तब सब साबित हुआ जब 1945 में विश्व युद्ध का दूसरा अंत होने पर शांति का स्थापना होने वाला था|
किसी भी अंतिम समझौते के आकार पर असहमति के क्षेत्र तो है ही साथ ही प्रत्येक पक्ष की बुनियादी प्रतिबद्धताओं और विश्वास नीयता के असर के संबंध में भी साफ नहीं है| जन्म और विस्तार के क्षेत्र में आधुनिक विकास को भी अपने घेरे में लिया है उनकी स्थिति और संभावित प्रभावों में सामाजिक प्रभाव के स्तर पर यह तकनीकों की प्रभावों में विवाद भी शामिल है पहले से ही अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है जो एक तरह से मजबूत अंतर्संबंध और समान लक्ष्य की ओर बढ़ रही है|भारत  शिक्षक क्या असर इस तरह का बदलाव आएगा शामिल है उन्होंने नाटक कॉमेडी धारा के दबाव में लिखा जाने लगा  दर्द साहित्य था वैसे ही
साहित्य की  की ऐसी एक दो खास बातें हैं |उन्होंने साहित्य में विमर्श शुरू किया कौन है जो साहित्य पढ़ा था अपनी M.A. पास करने के लिए विमर्श  वाला साहित्य नहीं वह साहित्य था|साहित्य समाज का दर्पण होता है|लेकिन साहित्य समाज का विमर्श होता है |हिंदी के अनहोनी हिंदी साहित्य के साथ खास तौर पर होती रही हैं| अल्लामा इकबाल के शायरी में हम लोगों ने हमेशा ही स्कूल में   दो पंक्तियां हैं जो पूरे भारत में आज भी सुनी जाती है | फिर उनके जीवन में विमर्श शुरू हुआ |
साहित्य विमर्श के दबाव में लिखा गया के अनुसार यह  है कि शेक्सपियर दुनिया के सबसे बड़े लेखकों में शामिल है |तरह-तरह के नाटक लिखें Tragedy  लिखी
Comedy लिखी Historical place सिलसिला 20 /25 साल लिखें साहित्य अपने भारत में बाएं हाथ से लिखे जाने लगा साहित्य में विमर्श का जन्म हुआ विचारधारा का दबाव होने लगा  वजह से समस्या यह हुआ बहुत से लोगों की रचनाएं एक जैसी लगती हैं जब विमर्श लिखना शुरू हुआ |वह भी विमर्श नहीं था तब तक कहानियों में दर्द था कहानियों में साहित्य का लेकिन जैसे ही विमर्श बना (Social Engineering) सोशल इंजीनियरिंग और (literature) लिटरेचर दोनों गड़बड़ उन्हें चाहिए कि जो विमर्श सामाजिक स्तर पर हो साहित्य का लेखन है साहित्य स्तर पर जैसे ही साहित्य को किसी भी विमर्श के दबाव में हम लिखना शुरू करते हैं तो वह साहित्य कहीं डाइल्यूट हो जाता है हमारा मुद्दा यह है कि हमें समकालीन साहित्य में विमर्श के बारे में लिखना है तो यह हमारे सोचने चरित्र एक रचना देनी है हमें इस बात पर विमर्श में जैसे देखे कालिदास को कभी संस्कृत में  विमर्श नहीं लिखते थे नहीं तो हमें विमर्स जो हम लिख रहे हैं विमर्श को हम अपने स्तर पर  जीवनी के को सामने रखकर अपने अनुसार रचनाएं रची जाती हैं संस्कृत विमर्श हैं साहित्य का दस्तावेज उपन्यास (discussion) विमर्श से include है|
समकालीन विमर्श में दो शब्द हैं-समकालीन एवं विमर्श। समकालीन शब्द समय वाचक है, मूल्यवाची नहीं। विमर्श का अर्थ है निरंतर संवाद। विमर्श में जो पाठ की बहुस्तरीयता है, वह महत्वपूर्ण है।समकालीन साहित्य में आर्थिक   विमर्श |मैं अपनी बातों को अपने इन शब्दों में समाप्त करता हूं |कोई त्रुटि कोई खामियां रह गई हो तो क्षमा करें और सही पढ़ने लिखने का आशीर्वाद दें लेखक मो0 जिमी |(S.M.JMY)