Category: विशेषांक-समकालीन हिन्दी साहित्य और विमर्श

June 4, 2023

131. उत्तर आधुनिकता एवं दलित विमर्श- डाॅ0 प्रिया सिंह

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June 3, 2023

130.हिंदी कहानियों में चित्रित वृद्धावस्थाजनित एकाकीपन-उज्ज्वल सिंह

हिंदी कहानियों में चित्रित वृद्धावस्थाजनित एकाकीपन नाम – उज्ज्वल सिंह पीएच.डी. शोधार्थी राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश   भूमिका मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन में किसी न किसी प्रकार की तैयारियों में लगा रहता है। कभी अपने भविष्य को सुखमय बनाने के लिए कठिन परिश्रम करता है तो कभी बच्चों के भविष्य को सुखमय बनाने के लिए कठिन परिश्रम करता है। उसका सारा जीवन इन्हीं व्यवस्थाओं […]

June 3, 2023

129. पत्रकारिता विमर्श-एस. राजलक्ष्मी

पत्रकारिता विमर्श एस. राजलक्ष्मी सहायक प्राध्यापिका ए एम जैन महाविद्यालय , चेन्नई            पत्रकारिता वर्तमान समय में बहु आयामी हो गई है। पहले साहित्यिक  रूप में ही पत्रकारिता का प्रकाशन प्रारंभ हुआ और प्रचलित भी हुआ। जब से व्यवसाय का रूप में पत्रकारिता अवतरित हुआ तब से बहुपथनिय हो गई है। बदलते समयानुसार  पत्रकारिता का स्वरूप और उसकी चुनौती में भी काफी बदलाव आ गया […]

June 3, 2023

128. ‘ग्रामसेविका’ उपन्यास में अभिव्यक्त ग्रामीण नारी जीवन-अनीषा.एन

‘ग्रामसेविका’ उपन्यास में अभिव्यक्त ग्रामीण नारी जीवन अनीषा.एन   अमरकांत उन प्रतिबद्ध लेखक में थे जो अपने समय की यथार्थ को दूसरों तक सरल रूप से पहुंचाते थे।चाहे वह किसी भी विषय से जुड़े हो।अमरकांत द्वारा लिखित ग्रामसेविका उपन्यास ऐसा एक उपन्यास है जो ग्रामीण सभ्यता को सामने रखकर एक नारी का संघर्ष गाथा को अभिव्यक्त करती है।गावों के जीवन पर आधारित इस उपन्यास पर […]

June 3, 2023

126. पीटर पॉल एक्का के कहानियों में आदिवासी स्त्रियों का जीवन संघर्ष-पूजा पॉल

पीटर पॉल एक्का के कहानियों में आदिवासी स्त्रियों का जीवन-संघर्ष  ‘परती जमीन’ कहानी-संग्रह के विशेष संदर्भ में पूजा पॉल   शोध सारांश आदिवासी साहित्य में कहानी को सबसे प्रसिद्ध एवं लोक प्रचलित विधा माना जाता है I कथा लेखन की विधा में आदिवासी साहित्यकार पीटर पॉल एक्का का नाम बहुत चर्चित है I उनके द्वारा रचित परती जमीन कहानी-संग्रह में आदिवासी स्त्रियों की जीवन-संघर्ष के […]

June 3, 2023

125. समकालीन साहित्य में नारी विमर्श- नीरजा द्विवेदी

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June 3, 2023

124. समकालीन साहित्य में सांस्कृतिक विमर्श-डाॅ0 राजेश वर्मा और अपर्णा द्विवेदी

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June 3, 2023

123. हिंदी साहित्य में दलित चेतना का उद्भव-भारती

हिंदी साहित्य में दलित चेतना का उद्भव भारती पीएचडी शोधार्थी हिंदी विभाग,दिल्ली विश्वविद्यालय   चेतना का संबंध चेतन मन से है। अर्थात् नींद से जागना। सुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में प्रवेश करना ही चेतना है। चेतना जीवधारियों में रहनेवाला तत्व है, जो इन्हें निर्जीव पदार्थों से भिन्न बनाता है। दूसरे शब्दों में हम उसे मनुष्यों की जीवन क्रियाओं को चलाने वाला तत्व कह सकते […]

June 3, 2023

122. स्त्री विमर्श: कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न-पूनम सिंह

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June 2, 2023

121. समकालीन दलित उपन्यासों में चित्रित विषय वैविध्य- Alka Prakash

समकालीन दलित उपन्यासों में चित्रित विषय वैविध्य             समकालीन हिंदी साहित्य में दलित साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है  । दलित साहित्य दलितों की अस्मिता और अस्तित्व की पहचान कराती हैं । भारतीय समाज में मुख्य रूप से हिंदू समाज में छुआछूत की भावना हमेशा से सजीव रहा है।दलित साहित्य ने समाज के इन्हीं खोखलेपन को व्यक्त करते हुए मानव अधिकारों से वंचित, हाशिएकृत, शोषित, उत्पीड़ित  […]