Category: विशेषांक-समकालीन हिन्दी साहित्य और विमर्श

June 18, 2023

हिमांशु जोशी के कथा-साहित्य में वृद्धजनों के प्रति संवेदना -डाँ. अरूणा रायचूर

Page No. 808-813 हिमांशु जोशी के कथा-साहित्य में वृद्धजनों के प्रति संवेदना . डाँ. अरूणा रायचूर हिमांशु जोशी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न, निर्भाीक एवं साहसी साहित्यकार हिन्दी साहित्य की उर्जावान प्रतिभा है। उनकी साहित्य साधना का क्षेत्र ऐसा है कि जिस क्षेत्र को उन्होंने स्पर्श किया है वी चंदन की भाँति अपनी सुगंध चारों ओर फैलाता है। इसलिए हिन्दी साहित्य के इतिहास में जोषी जी मील […]

June 17, 2023

111. डाॅ. ताराषंकर शर्मा ‘पाण्डेय’ की कृतियों में नारी विमर्ष -प्रियंका शर्मा

Click Here To Download The Papers डाॅ. ताराषंकर शर्मा ‘पाण्डेय’ की कृतियों में नारी विमर्ष प्रस्तौता -प्रियंका शर्मा

June 17, 2023

112. शंकर शेष के ‘बाढ़ का पानी’ नाटक में निहित दलित विमर्श डाॅ. अंशु बत्रा

Click Here To Download the Paper शंकर शेष के ‘बाढ़ का पानी’ नाटक में निहित दलित विमर्श डाॅ. अंशु बत्रा

June 14, 2023

110-स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में ‘झूलानट’ : एक  अध्ययन-षानुप्रिया

Page No.: 772-778 स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में ‘झूलानट’ : एक  अध्ययन षानुप्रिया   स्त्रियों को लेकर हो रहे बहस  को स्त्री विमर्श कहते है। स्त्री विमर्श एक साहित्य आंदोलन है जिसका आरंभ बीसवीं सदी में पाश्चात्य देश में शुरू हुआ। स्त्री विमर्श के केंद्र में स्त्री और पुरुष प्रधान समाज है। स्त्री विमर्श के अंतर्गत पुरुष वर्चस्ववादी व्यवस्था के खिलाफ स्त्री की आवाज़ , […]

June 14, 2023

109. समकालीन दलित उपन्यासों में चित्रित विषय वैविध्य-अल्का के पि

Page No.: 767-771            समकालीन दलित उपन्यासों में चित्रित विषय वैविध्य अल्का के पि             समकालीन हिंदी साहित्य में दलित साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है  । दलित साहित्य दलितों की अस्मिता और अस्तित्व की पहचान कराती हैं । भारतीय समाज में मुख्य रूप से हिंदू समाज में छुआछूत की भावना हमेशा से सजीव रहा है।दलित साहित्य ने समाज के इन्हीं खोखलेपन को व्यक्त करते हुए […]

June 14, 2023

 108. विपिन बिहारी की कहानीयों में दलित जीवन का यथार्थ- सुबिता. के.एस

Page No.: 762-766 विपिन बिहारी की कहानीयों में दलित जीवन का यथार्थ    आज का साहित्य ऐसा मोड पर पहुंच गया है जहाँ विमर्श अधिक है। लगभग १९६० के आसपास सबसे पहले मराठी में दलित साहित्य का जन्म हुआ और जल्द ही दलित साहित्य अपनी पहचान बना ली। दलित आंदोलन के दौरान दलित जातियों से आए अनेक साहित्यकार इस क्षेत्र को आगे बढ़ाया दलित कहानी […]

June 14, 2023

106. “आदिवासी विमर्श” – श्रीमती रश्मि विश्वकर्मा,

Page No.: 745-751 “आदिवासी विमर्श” श्रीमती रश्मि विश्वकर्मा शोधार्थी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विभाग, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर म.प्र.   हिंदी में दो तीन दशकों से अस्मिता वादी लेखन चर्चा का विषय बना हुआ है। आदि काल से ही आदिवासी समाज को एक पिछड़ा समाज मानकर उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता रहा है। परंतु वर्तमान शिक्षा के प्रचार-प्रसार, शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध […]

June 8, 2023

107. आज़ादी के पूर्व साहित्य में देशभक्ति की भावना -डॉ. खुशबू राठी

Page No.: 752-761 आज़ादी के पूर्व साहित्य में देशभक्ति की भावना (डॉ. खुशबू राठी)अतिथि विद्वान शा.कन्या स्ना.महा.रतलाम म.प्र. ब्रह्मचर्येण तपसा राजा राष्ट्रं विरक्षति। देश की भूमि, संस्कृति, परम्परा, प्रशासन और सामाजिक तेजस्विता आदि का समन्वित प्रभाव मानव की जीवन साधनापर पड़ता है, और उससे जो शक्ति प्रकट होती है उसी का नाम है- राष्ट्रीयता। इसी क्रम में आगे देशभक्ति का भाव जागृत होता है। राष्ट्रीय […]