“माॅ” – डॉ. सुधीर शर्मा
“माॅ” ✍️कभी हँसाती कभी रुलाती पल पल तेरी याद दिलाती, अक्सर आकर मुझे जगाती तेरी यादें मेरी माँ! दिन तो जैसे तैसे कट जाता है पर तेरी लोरी के बिन नींद कहाँ आती है माँ ! अपनी गोदी में मेरा सिर रखकर मुझे सुलाती थी माँ! जब तक मैं जागा करता था तब तक तुम भी जागा करती थी, जब तक था मैं नन्हा बालक […]