Category: गीना साहित्य संगम

May 16, 2023

मैंने बिन व्याकरण तुमसे प्यार किया है – डॉ0 अवध नारायण द्विवेदी

मैंने बिन व्याकरण तुमसे प्यार किया है हमारी प्रेम संधियाँ दीर्घ से वृद्धि करती हुई गुण प्रकट कर रही हैं,हमारी छुटपुट लड़ाइयाँ समास विग्रह सा हठ कर रही हैं,मैंने विलोम परिस्थितियों में भी शुद्ध व्यवहार किया है,मैंने बिन व्याकरण भी तुमसे प्यार किया है,तेरे पर्याय ढूँढने के प्रयास असम्भव से हैं,तेरे गुण तत्सम मेरे तद्भव से हैं,मैंने तुझको ही मेरा अलंकार किया है,मैंने बिन व्याकरण […]

May 16, 2023

मां – आनन्द कुमार मित्तल

…………………………मां………………………… नारी अपने सभी रूपों में सम्माननीय है,पूजनीय है।मां का रूप उसका सर्वत्र प्रशंसनीय है,मेरे शब्दों मे मां क्या है : कृपया सुनिए : मां तेरी ममता के आगे जगतपिता नतमस्तक है, ममत्व नहीं देवत्व समाया तेरा उर धरती का संरक्षक हैं,। प्रभु ने निर्मित किया मां का दिल भाव भर दिए वहां अनेक, दया -क्षमा ममता की मूरत बलिहारी मां के गुण प्रत्येक, निर्मित […]

May 16, 2023

माँ कभी बूढ़ी नही होती – कमलेश पाटीदार

  माँ कभी बूढ़ी नही होती । उम्र गुजर जाती है पर, बच्चो के लिए माँ कभी बूढ़ी नही होती । हां, माँ कभी बूढ़ी नही होती । माँ की जिम्मेदारियों से मुक्ति नही होती । खुद पर बहुत कुछ बीतने पर भी, कुछ नही । और बच्चो के लिए कुछ नही होने पर भी, बहुत कुछ महसूस करती है । बच्चो के लिए माँ […]

May 16, 2023

दो दिन का मेहमान बटेऊ – प्रियव्रत रोहणा

भजन। टेक. दो दिन का मेहमान बटेऊ,जाणा पड़े जरुर भाई। छोड़ कै इस मोह माया नै,कती रहा कर दूर भाई। कली.1 अपना तै कुछ भी ना सै,मान मान कै धक्के खा सै। जन्म मरण का ना भरता घा सै,राखै दुखी नसूर भाई। कली.2 भजन करा कर तू आठो याम,तजकै विषय वासना काम। घट म्हं मिलज्या रमैया राम,अमर अलौकिक नूर भाई। कली.3 रस मिले ना डोडे […]

May 16, 2023

परिवार का आधार – डॉ.परमानंद पाटीदार

” परिवार का आधार ” सभी मिलजुल कर रहते हैं , सुख हो या दुख हो; सभी बांट लेते हैं , समर्पण, प्रेम सदा ही , परिवार का आधार है । परिवार उन्नति के शिखर को, मिलकर ही तो छू सकता है; सामंजस्य ,संयम सदा ही ; परिवार का आधार है । विपत्ति के समय को काटकर, परिवार को सुख में देखकर; सदा ही प्रशंसनीय […]

May 16, 2023

परिवार रूपी वृक्ष – अनिल कुमार

परिवार रूपी वृक्ष परिवार…, वृक्ष की तरह होता है; जिसकी जड़े, प्रेम का अमृत पीकर, घर के आंगन को मजबूती से पकड़े रखती है। जिसका तना…, पिता-सा तनकर, सर्दी, गर्मी, बरसात में, रिश्तों की शाखाओं को प्यार से संभाले रखता है। जिसकी शाखाएँ…, ममतामय बाहें फैलाये, कोमल फूल-पत्तों को, अपना बच्चा समझकर, डालों का लचीला झूला, झूलाती रहती है। इस वृक्ष की शाखाएँ, जितनी फैलती […]

May 16, 2023

अकेलापन से साथियों की तलाश – स्मिता शंकर

अकेलापन से साथियों की तलाश” एक बार की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जो अपने एकल होने के कारण बहुत उदास रहती थी। वह हमेशा अकेली रहती थी और गांव के लोग उसे भी नहीं मिलते थे। वह जंगल में चली जाती और उसके पास जानवरों के दोस्त थे जिनसे वह बातें किया करती थी। एक दिन, बुढ़िया को एक कुत्ता […]

May 16, 2023

भगवान् रूपी ‘ मेरी मां’ – नीतू बाला

*भगवान् रूपी ‘ मेरी मां’* मैंने भी एक भगवान् देखा है, अपने ही घर में वो इंसान देखा है। चलता- फिरता,जीता-जागता, सबके लिए बनाते पकवान् देखा है। उसे कहते छाया की मूरत हैं वो भगवान् रूपी सूरत है। उसे दर्द तकलीफ में जलते देखा हैं अपनों के लिए तड़पते देखा है। वो करती सबसे प्यार है, उससे जन्मा सारा संसार है। रातों को ठिठुरते देखा […]

May 16, 2023

पापा भाग्य विधाता – स्वरचित चंद्रमणि चौबे

मेरी रचना परिवार पापा भाग्य विधाता भाग्य विधाता,जनक कहलाता अपने परिश्रम से घर में खुशी लाता कभी धरती तो कभी आसमान कहलाता आन बान शान से पहचाना जाता परिवार से पापा का गहरा नाता। पापा के लिए कोई शब्द नहीं कोई मोल कहा चुकाया है माता के आंचल में छुपा पिता का एहसास होता परिवार से पापा का गहरा नाता। हर मुसीबत से बचाकर आगे […]

May 16, 2023

ऊंचा रखूंगा सर मेरे परिवार का-सीताराम पवार

ऊंचा रखूंगा सर मेरे परिवार का झूठ सच नेकी बदी मान अपमान जो होता है परिवार के लिए होता है, **** झुकाए ना झुकेगा इस नामुराद दुनिया में कभी सर मेरे परिवार का | है आसमा से भी बहुत ऊंचा ये भरी कायनात में सर मेरे परिवार का | क्यारियां है एकता की बेपनाह मोहब्बत से खिला खिला है यह बागवा, ना छू सकेगी कभी […]