Author: Gina Journal

June 3, 2023

101.हिंदी कहानियों में चित्रित वृद्धावस्थाजनित एकाकीपन-उज्ज्वल सिंह

Page No.: 712-720 हिंदी कहानियों में चित्रित वृद्धावस्थाजनित एकाकीपन नाम – उज्ज्वल सिंह पीएच.डी. शोधार्थी राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश   भूमिका मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन में किसी न किसी प्रकार की तैयारियों में लगा रहता है। कभी अपने भविष्य को सुखमय बनाने के लिए कठिन परिश्रम करता है तो कभी बच्चों के भविष्य को सुखमय बनाने के लिए कठिन परिश्रम करता है। उसका सारा […]

June 3, 2023

100. पत्रकारिता विमर्श-एस. राजलक्ष्मी

Page No.: 707-711 पत्रकारिता विमर्श एस. राजलक्ष्मी सहायक प्राध्यापिका ए एम जैन महाविद्यालय , चेन्नई            पत्रकारिता वर्तमान समय में बहु आयामी हो गई है। पहले साहित्यिक  रूप में ही पत्रकारिता का प्रकाशन प्रारंभ हुआ और प्रचलित भी हुआ। जब से व्यवसाय का रूप में पत्रकारिता अवतरित हुआ तब से बहुपथनिय हो गई है। बदलते समयानुसार  पत्रकारिता का स्वरूप और उसकी चुनौती में भी काफी […]

June 3, 2023

99. ‘ग्रामसेविका’ उपन्यास में अभिव्यक्त ग्रामीण नारी जीवन-अनीषा.एन

Page No.: 702-706 ‘ग्रामसेविका’ उपन्यास में अभिव्यक्त ग्रामीण नारी जीवन अनीषा.एन   अमरकांत उन प्रतिबद्ध लेखक में थे जो अपने समय की यथार्थ को दूसरों तक सरल रूप से पहुंचाते थे।चाहे वह किसी भी विषय से जुड़े हो।अमरकांत द्वारा लिखित ग्रामसेविका उपन्यास ऐसा एक उपन्यास है जो ग्रामीण सभ्यता को सामने रखकर एक नारी का संघर्ष गाथा को अभिव्यक्त करती है।गावों के जीवन पर आधारित […]

June 3, 2023

98. पीटर पॉल एक्का के कहानियों में आदिवासी स्त्रियों का जीवन संघर्ष-पूजा पॉल

Page No.:693-701 पीटर पॉल एक्का के कहानियों में आदिवासी स्त्रियों का जीवन-संघर्ष  ‘परती जमीन’ कहानी-संग्रह के विशेष संदर्भ में पूजा पॉल   शोध सारांश आदिवासी साहित्य में कहानी को सबसे प्रसिद्ध एवं लोक प्रचलित विधा माना जाता है I कथा लेखन की विधा में आदिवासी साहित्यकार पीटर पॉल एक्का का नाम बहुत चर्चित है I उनके द्वारा रचित परती जमीन कहानी-संग्रह में आदिवासी स्त्रियों की […]

June 3, 2023

96. समकालीन साहित्य में सांस्कृतिक विमर्श-डाॅ0 राजेश वर्मा और अपर्णा द्विवेदी

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June 3, 2023

95. हिंदी साहित्य में दलित चेतना का उद्भव-भारती

Page No.: 667-675 हिंदी साहित्य में दलित चेतना का उद्भव भारती पीएचडी शोधार्थी हिंदी विभाग,दिल्ली विश्वविद्यालय   चेतना का संबंध चेतन मन से है। अर्थात् नींद से जागना। सुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में प्रवेश करना ही चेतना है। चेतना जीवधारियों में रहनेवाला तत्व है, जो इन्हें निर्जीव पदार्थों से भिन्न बनाता है। दूसरे शब्दों में हम उसे मनुष्यों की जीवन क्रियाओं को चलाने वाला […]

June 3, 2023

94. स्त्री विमर्श: कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न-पूनम सिंह

  Page No.: 664-666 L=h foe’kZ % dqN egÙoiw.kZ iz’u iwue flag vflLVsaV izksQslj ¼fgUnh foHkkx½ djker gqlSu eqfLye xYlZ ih0th0 dkWyst lkjka’k L=h eqfDr ls tqM+h nsg eqfDr dh /kkj.kk us vkt Hkkjrh; lekt esa gypy epk j[kh gSA ifjokj] fookg] U;k; rFkk /keZ tSlh laLFkk,¡ iq#”k ds futh fgrksa dh j{kk djus ds lkFk gh L=h dks ghu lkfcr djrh vkbZ gSaA iq#”k […]

June 2, 2023

93. समकालीन दलित उपन्यासों में चित्रित विषय वैविध्य- Alka Prakash

Page No.: 659-663 समकालीन दलित उपन्यासों में चित्रित विषय वैविध्य             समकालीन हिंदी साहित्य में दलित साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है  । दलित साहित्य दलितों की अस्मिता और अस्तित्व की पहचान कराती हैं । भारतीय समाज में मुख्य रूप से हिंदू समाज में छुआछूत की भावना हमेशा से सजीव रहा है।दलित साहित्य ने समाज के इन्हीं खोखलेपन को व्यक्त करते हुए मानव अधिकारों से वंचित, […]

June 2, 2023

92. समकालीन साहित्य  में आर्थिक-विमर्श-मो0 जिमी 

Page No.: 655-658 समकालीन साहित्य  में आर्थिक-विमर्श आपका नाम – मो0 जिमी आपका पद   -मास्टर्स ऑफ़ आर्ट्स (उर्दू ) आपके संस्थान का नाम- आर डी एंड डी जे कॉलेज, मुंगेर  महाविद्यालय. – तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ,भागलपुर 811207 पढ़ना आसान कार्य है पर लिखना आयास का। पढ़नेवाले सब लिख नहीं सकते। वही लिखते हैं जो कुछ नया कहना चाहते हैं। जब तक नया कुछ कहना […]