जीवनयात्रा – डॉ कंचन जैन
जीवनयात्रा कुछ वक्त का ही फेर था, सुबह और शाम में । वरना मिले तो, दोनों ही अकेले ही थे । दिन शुरू सुबह से,और शाम को ढल गया। कुछ वक्त का ही फेर था । न मिलने का वक्त तुम पर था, न उसने दिया , तुम्हें । भागता रहा ताउम्र , न जाने किस आजमाइश में , आज थक कर, जब बैठा शून्य […]