Author: Gina Journal

May 10, 2023

114. डॉ शंकर शेष के नाटकों में मुखरित स्त्री स्वर – डॉं नादिया सी राज

Page No.: 797-807 डॉ शंकर शेष के नाटकों में मुखरित स्त्री स्वर डॉं नादिया सी राज   शोध-सार          डॉ शंकर शेष के साहित्य में हमारे सामाजिक जीवन के विविध पक्षों का चित्रण अपननी संपूर्ण ऊष्मा के साथ हुआ है၊ एक सफल नाटककार के रूप में हिंदी साहित्य में उन्होंने अपना पहचान बनाया है ၊ समकालीन जीवन सत्यों का उद्घाटन उनके रचनाओं की विशेषता है၊ […]

May 10, 2023

43. नारी-विमर्श : अनामिका की कविताएं – अनामिका शिल्पी

Page No.:296-307 नारी-विमर्श : अनामिका की कविताएं – अनामिका शिल्पी शोध सार :           नारी-विमर्श एक आधुनिक विमर्श है, जिसका उद्येश्य समाज में उपस्थित स्त्री-पुरुष के मध्य सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक भेदभाव के बीच नारी – अस्मिता को स्थापित करना है। यह नारी के लिए अवसर की समानता सामाजिक-राजनीतिक भागीदारी में समानाधिकार, नारियों की आर्थिक मजबूती अधिकार व स्वतंत्रता के प्रति वैचारिक एवं संवेदनात्मक […]

May 10, 2023

42. इक्कीसवीं सदी के हिंदी उपन्यासों में किसान विमर्श – रघुवीर दान चारण

Page No.:289-295 इक्कीसवीं सदी के हिंदी उपन्यासों में किसान विमर्श – रघुवीर दान चारण उपन्यास साहित्य हिन्दी की सशक्त विधा है। उपन्यास में किसी घटना की विस्तृत जानकारी तथ्य वर्णित होते हैं। हिन्दी के उपन्यासकारों ने विभिन्न विषयों को आधार बनाकर उपन्यासों की रचना की। हिन्दी कथा साहित्य में ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक, जीवनीपरक, मनोवैज्ञानिक इत्यादि अनेक विषयों से सम्बन्धित उपन्यासों की रचना हुई है। हिन्दी […]

May 10, 2023

41.  गिलिगडु उपन्यास में वृद्धों की समस्या – मनुजा

Page No.:285-288 गिलिगडु उपन्यास में वृद्धों की समस्या – मनुजा                                                  वृद्ध जीवन की मार्मिक अभिव्यक्ति चित्रा मुद्गल जी की कृति ‘गिलिगडु ‘में मिलती है। वृद्धों की समस्या हमारे समाज में बढती ही जा रही है। इसके कारण उनके प्रति हमारी असंवेदनशीलता का होना है। हमारी दृष्टि संवेदनहीन हो गयी  है। हमारे मन में उनके प्रति आत्मीयता एवं सम्मान की भावना का ह्रास हो गया […]

May 10, 2023

39. साहित्य अकादमी द्वारा अनुदित कहानियों में बाल विमर्श – पूनम

Page No.: 263-275 साहित्य अकादमी द्वारा अनुदित कहानियों में बाल विमर्श – पूनम आधुनिक युग में बच्चों को यथार्थ का अनुभव कराना बहुत आवश्यक है। इसी यथार्थ का आभास कराता हुआ उनकी रुचियों के अनुसार, मनोरंजक, ज्ञानवर्धक साहित्य ही बल साहित्य है। बाल साहित्य उनके लिए ज्ञानवर्धक, उपदेशात्मक हो लेकिन साहित्य उबाने वाला न हो। भाषा अत्यंत सरल एवं उनके स्तर के अनुसार हो। बच्चे […]

May 10, 2023

38. गीतांजलि श्री की “माई ” उपन्यास में चित्रित नारी – गोपिका

Page No.:258-262 गीतांजलि श्री की “माई ” उपन्यास में चित्रित नारी – गोपिका वैश्विक नारीवादी आंदोलन की एकबहुत बड़ी किरदार सिमोन द बोउअर अपनी किताब ‘द सेकंड सेक्स ‘ में कहती हैं कि महिलाओं की बराबरी की बात करते समय हमें उनके जैविक अंतर की वास्तविकता को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। वह कहती है ,”महिलाओं और पुरुषों के बीच जो जैविक अंतर है उसके आधार […]

May 9, 2023

36. समकालीन दौर : प्रकृति विमर्श – कुमार मंगलम

Page No.:240-250 समकालीन दौर : प्रकृति विमर्श – कुमार मंगलम शोध सार : साहित्य में विमर्श का दौर जो चला,उसकी जरूरत आज भी बनी हुई है।प्रकृति विमर्श को लेकर समकालीन दौर में हिंदी साहित्य के जो भी रचनाकार उपन्यास,कहानी कविता में चिंता-चेतना-चिंतन से गुजर रहे हैं। इस आलेख में उन्हें आज की पर्यावरणीय परिस्थितियों से जोड़ते हुये उभारा गया है। हिंदी साहित्य में नब्बे के […]

May 9, 2023

35. समकालीन हिन्दी साहित्य में दलित विमर्श – डॉ. पूनम कुमारी (सहायक प्रोफेसर)

Page No.: 237-239 ledkyhu fgUnh lkfgR; esa nfyr foe’kZ  MkW- iwue dqekjh ¼lgk;d izksQslj½ lkjka’k%&       lEiw.kZ lalkj ds lkfgR; esa fgUnh lkfgR; viuk ,d vyx vkSj vuqie LFkku j[krk gSA HkfDr] uhfr] J`axkj] okRLy;] jk”Vª izse o lkekftd tkxj.k tSlh fo”k; fofo/krk ds dkj.k fgUnh lkfgR; lewph ekuoh; tkfr dk iFk&izn’kZd cuk gSA fgUnh lkfgR; ds l`tuk xHkZ esa vusdkusd ekuoh;rk ds eksrh fc[kjs […]

May 9, 2023

34. किशोर जीवन व समस्याओं का जीवतं दस्तावेज रजनी गुप्त का उपन्यास: ‘कुल जमा बीस’ – मदन लाल

Page No.: 231-236 fd’kksj thou o leL;kvksa dk thora nLrkost   jtuh xqIr dk miU;kl % ^dqy tek chl* enu yky lkfgR; dk vfLrRo lekt ls vyx ugha gks ldrk gS A izR;sd lkfgfR;d jpuk vius le; rFkk ;qx dh lE;d cks/k gksrh gSA vr% jpuk esa izR;sd ?kVd vius le; rFkk ;qx dh lelkef;d nLrkost gksrk gSA le; ds lkFk&lkFk tSls ;qx cnyrk tkrk […]

May 9, 2023

33. सुखबीर सिंह की कविताओं में दलित चेतना – आंचल यादव

Page No.: 223-230 सुखबीर सिंह की कविताओं में दलित चेतना आंचल यादव दलित चेतना या दलित विमर्श समकालीन हिंदी कविता का केंद्रीय विषय है । दलित कविता ने हिंदी कविता को जहां एक नए सांचे में ढाला है। वही उसे नए मुहावरे और अर्थ भी प्रदान किए हैं और इस प्रकार दलित कविता ने विषय और विस्तार दोनों की दृष्टि से हिंदी दलित चेतना को […]