Author: Gina Journal

May 9, 2023

32. दंड-विधान: जातिगत स्त्री शोषण का जीवंत दस्तावेज- मनीषा देवी   

Page No.: 217-222 दंड–विधान: जातिगत स्त्री शोषण का जीवंत दस्तावेज  मनीषा देवी             स्त्री-पुरुष दोनों हमारे समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं लेकिन भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में स्त्रियों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। पितृसत्तात्मक समाज में पुरुषों ने स्त्रियों को केवल एक वस्तु माना है। स्त्री विमर्श का सरोकार जीवन और साहित्य में स्त्री मुक्ति […]

May 9, 2023

31. मालती जोशी की कहानियों में व्यक्त पुरुष आश्रयहिन स्त्री की स्थिति – नेहा

Page No.: 214-216 fo’k; &ekyrh tks’kh dh dgkfu;ksa esa O;Dr iq#”k vkJ;fgu L=h dh fLFkfr usgk                  ;fn orZeku le; es fdlh vkSjr ds ifr dh e`R;q gks tkrh gS] rks lekt esa ml vkSjr dk vfLrRo gSAeSa ds cjkcj jg tkrk gSAml ij vusd çdkj ds udkjkRed çHkko gkoh gksus yxrs gSaA vius vfLrRo dh lqj{kk j[kus ds fy, eu esa oSA dk Mj […]

May 9, 2023

30. सामाजिक यथार्थ के संदर्भ में: दलित स्त्री की आत्मकथा एक अध्ययन – प्रियंका सारम्म फिलिप्प

सामाजिक यथार्थ के संदर्भ में: दलित स्त्री की आत्मकथा एक अध्ययन  प्रियंका सारम्म फिलिप्प   समकालीन साहित्य में दलित साहित्य  का स्थान सर्वोपरि है।आज दलित साहित्य लेखन साहित्य की तमाम विधाओं पर हो रही है।इसमें आत्मकथा एक ऐसी विधा है जो दलित साहित्य के जीता जागता इतिहास हैं। दलित आत्मकथाकार अपनी जीवन के  ज़रिए अपने समाज के सदियों पुराने दर्द एवं अनसुनी यथार्थ को कह […]

May 9, 2023

29.समकालिन कहानियों में नारी विमर्श – डॉ.- प्रा. भिमराव माने

           समकालिन कहानियों में नारी विमर्श डॉ.- प्रा. भिमराव माने नारी सशक्तीकरण के इस दौर में भारतीय नारीविषयक दृष्टी को प्रासंगिकता अव पुरी दुनिया में प्रसिद्ध होती दिखाई देती है। भारतीय ग्रंथ में लिखा है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंत रमते तत्र देवता’ जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता का वास होता है। नारी की जननी माता पूजनीय माना गया है। सी के रूप में […]

May 8, 2023

24. विद्यालयों में प्रचलित लैंगिक असमानताओं की रूपरेखा का अध्ययन – अनिल कुमार

Page No.:160-169 विद्यालयों में प्रचलित लैंगिक असमानताओं की रूपरेखा का अध्ययन अनिल कुमार शोध सार किसी भी समाज को अगर प्रगति के पथ पर अग्रसर होना है तो उसके लिए सर्वप्रथम समाज के शिक्षित होने की आवश्यकता है । शिक्षा की सीमा का निर्माण इस प्रकार होना चाहिए जिसमें सभी को शिक्षा से जुड़े समान अधिकार प्राप्त हो सके। परंतु आज भी 21वीं सदी में […]

May 8, 2023

22. हिन्दी साहित्य में दलित विमर्श – डॉ. रंजीता बैद

Page No.: 151-155 fgUnh lkfgR; esa nfyr foe’kZ MkW- jathrk cSn Hkkjr fofHkUu /kekZoyfEc;ksa dk ns”k jgk gSA ;gk¡ lfn;ksa ls fgUnw] eqfLye] fl[k] blkbZ tSu] ikjlh] ckS) vkfn fofHkUu /keksZa ds vuq;k;h fuokl djrs vk jgs gSaA ns’k esa tula[;k dh nqf’V ls fgUnq /kekoZyfEc;ksa dh la[;k lokZf/kd gSA izkphu dky ls gh fgUnqvksa esa o.kZ O;oLFkk dk izpyu jgk gSA _Xosn ds nlosa […]

May 8, 2023

19.हिन्दी साहित्य के प्रमुख उपन्यासों में किन्नर समाज – डॉ. आंचल कुमारी

Page No.: 127-131 fgUnh lkfgR; ds izeq[k miU;klksa esa fdUuj lekt MkWŒ vk¡py dqekjh lgk;d vkpk;Z] fgUnh foHkkx] jke pesyh pM~<k fo’okl xYlZ dkWyst] xkft+;kckn lkj vkfndky ls gh Hkkjrh; lekt esa ,d ,slk oxZ gS tks misf{kr o ihfM+r gS ftls r`rh; fyaxh vke Hkk”kk esa fdUuj ;k fgtM+k dgrs gSaA bl ‘kks/k esa fgUnh lkfgR; ds ek/;e ls buds bfrgkl] ijaIkjk] jgu&lgu] dfBukbZ;ksa […]

May 8, 2023

18. वर्तमान भारत में किन्नर समाज: किन्नर विमर्श के विशेष सन्दर्भ में – सत्य प्रकाश नाग

Page No.: 122-126 orZeku Hkkjr esa fdUuj lekt % fdUuj foe”kZ ds fo”ks’k lUnHkZ esa – lR; izdk”k ukx         tux.kuk 2011 ds vuqlkj Hkkjr esa fdUujksa dh dqy vkcknh 4-88 yk[k jghA ns”k esa fdUujksa dh bruh cM+h vkcknh gksus ds ckn Hkh ;s lekt dh eq[; /kkjk ls dVs jgsA bldk izeq[k dkj.k Hkkjrh; lekt dk fdUujksa ds izfr /k`f.kr n`f’Vdks.k jgk gSA […]

May 8, 2023

16. चित्रा मुद्गल के उपन्यास ‘आवां’ में नमिता का संघर्ष – (प्रो.) डॉ. अनुसुइया अग्रवाल डी. लिट्.

Page No.: 113-117    fp=k eqn~xy ds miU;kl ^vkoka* esa uferk dk la?k”kZ ¼izks-½ M‚- vuqlqb;k vxzoky Mh- fyV~                                                                                               […]

May 8, 2023

12. समकालिन साहित्य में स्त्री विमर्श – राजलक्ष्मी जायसवाल

Page No.: 83-88 समकालिन साहित्य में स्त्री विमर्श शोध लेखिका – राजलक्ष्मी जायसवाल सार संक्षेपन- सन् 1960 के बाद आधुनिकतावाद के परिणाम स्वरूप समाज में अनेक अस्मिताओं ने अपने संघर्ष को अभिव्यक्ति दी, अथार्त दलित, आदिवासी, स्त्री अस्मिताएँ अब केन्द्र रूप से अपने अस्तित्व की रक्षा करने के साथ साहित्य रचने लगी।         अब तक स्त्रियां पुरूष को स्वीकार करते हुए उनके द्वारा बनाये गए […]