32. दंड-विधान: जातिगत स्त्री शोषण का जीवंत दस्तावेज- मनीषा देवी
Page No.: 217-222 दंड–विधान: जातिगत स्त्री शोषण का जीवंत दस्तावेज मनीषा देवी स्त्री-पुरुष दोनों हमारे समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं लेकिन भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में स्त्रियों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है। पितृसत्तात्मक समाज में पुरुषों ने स्त्रियों को केवल एक वस्तु माना है। स्त्री विमर्श का सरोकार जीवन और साहित्य में स्त्री मुक्ति […]