53. समकालीन हिंदी साहित्य और रूपांतरित परिदृश्य में वनिता विमर्श – ड़ॉ0 मीनू शर्मा
Page No.:369-376 समकालीन हिंदी साहित्य और रूपांतरित परिदृश्य में वनिता विमर्श – ड़ॉ0 मीनू शर्मा सारांश अपने समय की उत्कृष्ट चुनौतियों के साथ उतना ही समकालीन हिंदी साहित्य का गुण है. साहित्यकार का अविच्छिन्न संपर्क वर्तमान वेदना के साथ होता है और वह उस वेदना व्यथा को साहित्य माध्यम से स्पष्ट भाषी रूप में कह देने का पक्षधर है, यह कला कौशल समकालीन साहित्यकारों में […]