51. दलित साहित्यः संवेदना
Page No.:355-361 दलित साहित्यः संवेदना भारतवर्ष विविधताओं का देश है जहां धर्म, जाति, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य व कला के प्रत्येक क्षेत्र में विविधता देखने को मिलती है। इन विविधताओं के बावजूद भी ‘अनेकता में एकता’ , ‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’ तथा ‘वसुंधैव कुटुंबकम’ का मूल मंत्र लेकर भारतीय संस्कृति सभी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोने का अमूल्य कार्य करते हुए विश्वभर में विश्व […]