84. समकालीन हिंदी कविता में चित्रित आदिवासियों का विस्थापन – सिम्ना.एन
समकालीन हिंदी कविता में चित्रित आदिवासियों का विस्थापन सिम्ना.एन आदिवासी इस धरती की मूल निवासी हैं| वे जल-जंगल-ज़मीन की अधिकारी होते हैं| प्रो.रामदयाल मुंडा के अनुसार “आदिवासी से हमारा तात्पर्य उन आर्येतर जनजातियों से है, जिन्हें संस्कृत साहित्य में असुर, निषाद, दस्यु, वानर, राक्षस आदि से संबोधित किया गया|”[1] है| विद्वानों ने आदिवासियों को अपनी सुविधा के अनुसार अलग […]