May 5, 2023

17. समकालीन हिन्दी साहित्य और विमर्श – रंजना गुप्ता 

Page No.: 118-121 समकालीन हिन्दी साहित्य और विमर्श – रंजना गुप्ता  उप विषय – नारी विमर्श नारी विमर्श उस साहित्यिक आन्दोलन को कहा जाता है, जिसमे नारी अस्मिता को केन्द्र में रखकर संगठित रूप से स्त्री साहित्य की रचना की गई। हिन्दी साहित्य में नारी विमर्श अन्य अस्मिता मूलक विमर्शो के भाँति ही मुख्य विमर्श रहा है। नारी विमर्श भारतीय स्थितियो मे और हिन्दी साहित्य […]

May 5, 2023

15. समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श – क्षत्रिय दीपिका जितेन्द्र

Page No.: 105-112 समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श – क्षत्रिय दीपिका जितेन्द्र                       हिन्दी कथा साहित्य में निचले पायदान पर उपस्थित उपेक्षित वर्गों को केन्द्र में रखकर चिंतन किया जा रहा है जिसमें नारी विमर्श, दलित विमर्श, आदिवासी विमर्श, किसान विमर्श, किन्नर विमर्श आदि प्रमुख है।यह विमर्श उपेक्षित वर्गों को अपने प्रति होनेवाले अत्याचारों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए थे किन्तु इनमें […]

May 5, 2023

14. मीरा कांत व विभा रानी के नाटकों में स्त्री यौन शोषण की समस्या – सिमरन कुमारी

Page No.: 97-104 मीरा कांत व विभा रानी के नाटकों में स्त्री यौन शोषण की समस्या – सिमरन कुमारी सारांश मीरा कांत व विभा रानी 21वीं सदी की प्रमुख  महिला नाटककार हैं। इन्होंने कई विधाओं में साहित्य का सृजन किया हैं। परन्तु नाटककार के रूप में अधिक जानी जाती है। नाटकों में स्त्री के विविध स्वरूपों और पुरुष के कुत्सित मानसिकता को उजागर करने का […]

May 5, 2023

12. समकालीन साहित्य में स्त्री विमर्श- राजलक्ष्मी जायसवाल

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May 5, 2023

13. स्त्री विमर्श के आईने में गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘माई’ : एक अध्ययन – अमला थॉमस

Page No.: 89-96 स्त्री विमर्श के आईने में गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘माई’ : एक अध्ययन – अमला थॉमस सारांश समाज में शोषितों के दर्जे में रखे जानेवाले कई वर्गों में एक प्रमुख वर्ग है – स्त्री।जन्म से लेकर स्त्री शोषण का शिकार है और स्वतंत्रता एवं समानता से वंचित भी है।स्त्री की मुक्ति का मार्ग बहुत जटिल है । आधुनिक स्त्री का जीवन इसका […]

May 5, 2023

10. पर्यावरणीय चेतना एवं जागरूकता से ओत-प्रोत हमारा समकालीन हिन्दी साहित्य – रीतिका पाण्डेय (पी-एच.डी.शोधार्थी)

Page No.: 68-76 पर्यावरणीय चेतना एवं जागरूकता से ओत-प्रोत हमारा समकालीन हिन्दी साहित्य – रीतिका पाण्डेय (पी-एच.डी.शोधार्थी)   सारांश –                                       समकालीन कवि एवं लेखक अपनी रचनाओं द्वारा हमें जागरूक कर रहे हैं, हमें बता रहे हैं कि पर्यावरण को असंतुलित कर हम विकास की ओर उन्मुख नहीं हो सकते । प्रोद्योगिकी के विकास से प्रकृति असंतुलित हो गयी है । मानव जीवन अपने चारों ओर […]

May 5, 2023

9. दोहरा अभिशाप :दलित स्त्री चेतना का सशक्त हस्ताक्षर – हिना

Page No.: 60-67 दोहरा अभिशाप :दलित स्त्री चेतना का सशक्त हस्ताक्षर – हिना दोहरा अभिशाप कौशल्या बैसंत्री जी द्वारा लिखित हिंदी की पहली दलित महिला आत्मकथा मानी जाती है। जो दलित महिलाओं के संघर्ष को उजागर करती है।यह दलित चेतना का उदय, विशेषकर दलित महिला चेतना के उदय को प्रदर्शित करती है।अन्य आत्मकथाओं के विपरीत उनकी आत्मकथा न केवल अत्यधिक दर्द ,जातिगत आधार पर की […]

May 5, 2023

8. किन्नर समाज के संघर्ष को चित्रित करता उपन्यास दर्द न जाने कोई- कृतिका चौधरी

Page No.: 53-59 किन्नर समाज के संघर्ष को चित्रित करता उपन्यास दर्द न जाने कोई – कृतिका चौधरी सृष्टि संचालन की दृष्टि से दो वर्गों को महत्व दिया जाता है नर एवं नारी परंतु इंसान हमेशा यह भूल जाता है कि नर और नारी के अतिरिक्त भी एक तीसरा वर्ग है ]जो ना तो पूरी तरह से नर है ना पूरी तरह से नारी है […]

May 5, 2023

6. हिन्दी उपन्यासों में अभिव्यक्त स्वास्थ्य समस्याओं पर विमर्श – अश्विनी कुमार

Page No.: 44-47 हिन्दी उपन्यासों में अभिव्यक्त स्वास्थ्य समस्याओं पर विमर्श            स्वास्थ्य से तात्पर्य है, निरोग होने की अवस्था। स्वास्थ्य का तात्पर्य केवल शारीरिक स्वास्थ्य न होकर मानसिक स्वास्थ्य भी है। स्वास्थ्य एक व्यक्ति के केवल शारीरिक बेहतरी को ही संदर्भित नहीं करता है, अपितु मानसिक बेहतरी को भी संदर्भित करता है। अधिकांश लोग यही समझते हैं कि हम शारीरिक रूप से स्वस्थ्य […]

May 4, 2023

विशेषांक-समकालीन हिन्दी साहित्य और विमर्श

Click Here To Download Your Certificate ​ शोध पत्र पेज नंबर सम्पादकीय 1-2 अध्यक्ष की कलम से 3-4 1.मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानियों  में आधुनिक सन्दर्भ – अफीफा फातिमा शेक 5-12 2. समकालीन उपन्यासकारों में स्त्री विमर्श: विभिन्न परिदृश्य-डॉ. रश्मी मालगी 13-21 3.भाषा आधारित शिक्षा पद्धति और एन.ई.पी.2020 – डॉ.परमानन्द त्रिपाठी 22-29 4. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के विशेष परिप्रेक्ष्य में “प्रौढ़ शिक्षा और जीवनपर्यन्त सीखना“ […]